शारीरिक शिक्षण
मानव जीवन के लिए बौद्धिक एवं मानसिक विकास की जितनी आवश्यकता है, उतनी ही शाराीरिक विकास की भी है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्था मन रह सकता है। इस तथ्य को यहाॅ इतना महत्व दिया गया है। नेट बाॅल, बास्किट बाॅल, बैडमिन्टन, लौंग जम्प, हाईजम्प आदि पश्चिमी खेलों तथा लेजिम, लाठी,मुदगर, ड्रिल आदि का भी यहाॅ अच्छा, अभ्यास किया जाता है। आसनों के शिक्षण की भी अच्छी व्यवस्था है। एक अनुभव (ट्रेण्ड) तथा इस विषय की विशेषज्ञ शिक्षिका के निरीक्षण में यह व्यवस्था हैं। कन्याओं के खेलने के लिए विस्तृत खेल का मैदान है। समय-समय पर देहरादून में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में यहाॅ की कन्याओं ने सर्व प्रथम रह कर कई विजयोपहार प्राप्त किये।
शिक्षा-सम्बन्धी विभिन्न प्रगतियाँ
सरस्वती परिषद
शिक्षा को सर्वतोन्तुखी तथा जीवनोपयोगी बनाने की दृष्टि से कन्या गुरूकुल में विभिन्न परिषदों का भी आयोजन किया गया है। जिसमें धार्मिक साहित्यिक, राजनैतिक तथा सामाजिक विषयों पर वाद विवाद तथा विचार विमर्श को प्रधानता दी जाती है। प्रति सप्ताह सोमवार को क्रमशः साहित्य-परिषद, इतिहास-परिषद, संस्कृत-प्रतिषद और कला परिषद की भी व्यवस्था की जाती है। इन परिषदों में गायन वाद्य और सांस्कृतिक अभिनव भी होते है।
ज्योति समिति
कन्याओं में अनुशासन का भाव उत्पन्न कराने के लिए प्रथा आश्रम का कार्य सुचारू रूप से चलानंे के लिए श्रीमती आचार्या जी के परामर्श एवं प्रेरणा से एक ज्योति समिति का निर्माण किया गया है जिसमें कन्याओं को चार समूहों में विभक्त कर दिया गया है। जिनके नाम अलका, राका, शेफालिका है। प्रत्येक समूह की एक कप्तान तथा एक उपकप्तान है। बड़ी कन्याये अपनी टोली की छोटी कन्याओं की देख रेख भी कर लेती हैं, जिससे आश्रम में परिवार वातावरण उत्पन्न हो जाता है। छोटी कन्याओं को घर की याद आती ही नहीं है। ये चारों समूह अपनी वाक्-शक्ति को बढ़ाने के लिए तथा मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम भी प्रस्तुत करते रहते है। यह विकास प्रायः स्पद्र्धामूलक होता है। समय-समय पर देहरादून में होने वाले वाद विवाद तथा संास्कृतिक प्रतियोगिताओं में यहां की छात्राएं भाग लेती रहती हैं और सफलतापूर्वक अनेक पारितोषिक तथा विजयोपहार प्राप्त करती हैं।
बालिका-समाज
प्रति रविवार को श्रीमती आचार्या जी की अध्यक्षता में कन्याओं की एक सभा होती है, जिसे धार्मिक-सत्संग भी कहा जा सकता है। इसमें कन्याओं को बोलने का अभ्यास कराया जाता है। भारतीय-सभ्यता, भारतीय संस्कृति तथा वैदिक-धर्म जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कन्याओं के वाद विवाद तथा व्याख्यान होते हैं। भाषणों के अतिरिक्त समाचार पत्र द्वारा प्राप्त देश के सामयिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं साहित्यिक समाचार से भी उन्हें अवगत कराया जाता है। इस साप्ताहिक अधिवेशनों के अतिरिक्त आर्य त्यौहारों तथा राष्ट्रीय पर्व भी बड़े समारोह के साथ मनाये जाते है। जिनमें अध्यापिकाऐं भी भाग लेती है।
शिक्षा सम्बन्धी ज्ञानवर्द्धक यात्राएँ
शिक्षा को क्रियात्मक बनाने की दृष्टि से कन्या-गुरूकुल में प्रतिवर्ष छात्राओं के लिये मनोरंजन तथा शिक्षण यात्राओं का भी आयोजन किया जाता है। इन यात्राओं में भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों, तीर्थो, पर्वतों एवं भाखड़ा इत्यादि नवीन बांधों के दर्शन सम्मिलित हैं।
पुस्तकालयय तथा वाचनालय
संस्था के पास एक बृहद् पुस्तकालय है, जिसमें विविध विषयों की संस्कृत, इंग्लिश तथा हिन्दी की उपयोगी पुस्तकें हैं, जिनकी संख्या 15000 के लगभग है। अनेकों दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक पत्रिकाएं यहां के वाचनालय में आती है, जिनमें ट्रिबयून, हिन्दुस्तान टाइम्स, दैनिक प्रताप, आर्य मित्र, आर्य-धर्मयुग, हिन्दुस्तान साप्ताहिक आदि मासिक व त्रैमासिक मुख्य है। इसके अतिरिक्त संस्कृत की पत्रिकाएं भी आती है। भारत के प्रायः सभी प्रमुख सर्व प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाएं भी यहां मंगवाई जाती है।।
छात्रवृत्तियाँ
निम्नलिखित महानुभाओं ने अधोलिखित स्थिर छात्रवृतियां गुरूकुल को दी हुई है, जो कि योग्य कन्याओं को दी जात है।
1- श्री सीताराम जी | राधादेवी | छात्रवृत्ति | 4000 रू0-अम्बाला |
2- श्रीमती राधादेवी जी | पन्नालाल | छात्रवृत्ति | 4000 रू0-अम्बाला |
3- श्रीमती राधादेवी जी | मथुरादास | छात्रवृत्ति | 4000 रू0-अम्बाला |
4- श्री ऋषिराज जी | तेलूराम | छात्रवृत्ति | 4000 रू0-अम्बाला |
5- श्रीमती रामभोली देवीजी | तेलूराम | छात्रवृत्ति | 4000 रू0-गोरखपुर |
6- श्री गोविंद सहाय जी | तेलूराम | छात्रवृत्ति | 4000 रू0-श्रीनगर |
7- पं0अमीरचन्द जी | तेलूराम | छात्रवृत्ति | 4000 रू0 |
8- डा0 सुखदेव जी | अमृतकला | छात्रवृत्ति | 4000 रू0 |
9- श्री राधाकृष्ण ओमप्रकाश जी | अमृतकला | छात्रवृत्ति | 4000 रू0 |
दीक्षान्त संस्कार
14वीं कक्षा उत्तीर्ण करने पर छात्राओं को विद्यालंकार की उपाधि दी जाती है, इस उपाधि के लिए समारोह पूर्वक दीक्षान्त समारोह होता है। जिसमें बड़े-बड़े नेता उपस्थित होते हैं। प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्रियो एवं लोक नेताओं को दीक्षान्त भाषण देने के लिए आमंत्रित किया जाता र्है। उनमें से कतिपय के नाम निम्नलिखित है-
1- माता कस्तूरबा गांधी | 2-श्रीमती जमुनालाल बजाज जी |
3-श्रीमती रामेश्वरी नेहरू | 4- श्रीमती कमलाबाई किबे |
5-श्रीमती राजकुमारी अमृतकौर | 6-श्रीमती लीलावती मुन्शी |
7- श्रीमती मीरा बहिन (मिस स्लेड) | 8-श्रीमती उमा नेहरू |
9-श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित | 10- श्री आचार्य जुगलकिशोर जी |
11- श्री वी0एन0झा (डायरेक्टर आॅफ एज्यूकेशन) | 12- श्री सम्पूर्णानन्द जी,शि़क्षामंत्री |
13-डा0 के0एल0श्रीमाली, भूतपूर्व शिक्षा मंत्री,भारत सरकार | 14- श्री कमलापति त्रिपाठी, भूतपूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश |
15- श्री चन्द्रभान जी गुप्त, भूतपूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश | 16- श्री लाल बहादुर शास्त्री, गृह मंत्री,भारत सरकार |
17- श्री कर्नल पं0 सत्यव्रत जी, सिद्धान्तालंकार,उपकुलपति विश्वविद्यालय गुरूकुल कांगड़ी। |
संरक्षकों एवं अतिथियों के ठहरने का प्रबन्ध
छात्राओं के संरक्षकों, अतिथियों तथा दर्शकों के लिए गुरूकुल में 1 दोमंजिला अतिथि गृह बना हुआ है। आचार्या की विशेष स्वीकृति प्राप्त किये बिना 2 दिन से अधिक ठहरने का नियम नहीं है। कमरे एवं बिजली पानी का किराया प्रतिदिन 150/-रू0 तथा बड़े कमरे का 200/-रू0 देंना होगा।