कन्या गुरूकुल के संक्षिप्त नियम
प्रवेश:
- प्रवेश के समय कंन्या की आयु 6 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
- कन्या गुरूकुल में वे ही कल्याएं प्रविष्ट हो सकेंगी जिनका शारीरिक तथा मानसिक स्वास्यि ठीक हों।
- कन्या के माता-पिता व संरक्षक को प्रवेश के समय यह प्रतिज्ञा करनी होगी कि वे न्यूनतम 18 वर्ष की आयु से पूर्व उस कन्या की सगाई व विवाह न करें।
- जो महानुभााव अपनी कन्या को प्रविष्ट करना चाहें उन्हें कार्यालय से छपा हुआ प्रवेश फार्म मंगाकर, भरकर भेज देना चाहिए और स्वीकृति मिलने पर बताई हुई तिथि या तारीख पर कन्या को प्रवेशार्थ लेना चाहिए।
- कन्या के प्रवेशार्थ गुरूकुल में आने पर कन्या गुरूकुल की आचार्या तथा डाॅक्टर उसकी परीक्षा लेकर तथा निरीक्षण करके उसे प्रविष्ट कराने की स्वीकृति देंगी।
ब्रह्मचारिणियों से मिलने, बाहर आने-जाने और पत्र-व्यवहार विषयक प्रतिबन्ध
- ब्रह्मचारिरिणयां अपने संरक्षकों से मास में एक बार से अधिक पत्र-व्यवहार न कर सकेंगी। यह पत्र-व्यवहार भी आचार्या के द्वारा ही हुआ करेगा।
- छात्रा से मिलने आने वाले व्यक्तियों का सम्बन्धित छात्रा के अलावा किसी दूसरी छात्रा से मिलने का नियम नहीं हैं।
- छात्रा से फोन पर वार्ता बताये गये दिन और समय के अनुसार ही करें अन्य समय पर नहीं।
- संरक्षकों से अनुरोध कि वे पढ़ाई के समय छात्राओं को मिलने तथा बाहर बाजार आदि के लिए न बुलायें।
- यदि इस शिक्षणालय की कोई विद्यार्थिनी किसी ऐसे कुव्यवहार की दोषी हो जिसके कारण उसका शिक्षणालय की दुसरी विद्यार्थिनियों के साथ रहना अनुचित समझा जाए तो वह शिक्षणालय से निकाल दी जायेगी।
संरक्षकों एवं अतिथियों के ठहरने का प्रबन्ध
छात्राओं के संरक्षकों, अतिथियों तथा दर्शकों के लिए गुरुकुल में अतिथि गृह बना हुआ है। आचार्या की विशेष स्वीकृति प्राप्त किए बिना 2 दिन से अधिक ठहरने का नियम नहीं है। कमरे एवं बिजली पानी का किराया प्रतिदिन 250रु. तथा बढ़े कमरे का 350रु. देना होगा।
परीक्षा व्यवस्था
- शिक्षण सत्र में दो परीक्षाएं होंगी। अर्द्धवार्षिक तथा वार्षिक ।
- कक्षा (I से VII) की वार्षिक परीक्षा की व्यवस्था मुख्याध्यापिका करेंगी।
- कक्षा ( IX से XII ) की वार्षिक बोर्ड परीक्षा कुलसचिव गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार द्वारा ली जाती है, जिसका प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय द्वारा दिया जाता है।
- दशम श्रेणी (X) उत्तीर्ण कर लेने पश्यात छात्रा को विद्याधिकारी (हाई स्कूल) का प्रमाण पत्र तथा द्वादश (10+2) कक्षा उत्तीर्ण कर लेने के पश्चात् छात्रा को विद्या-विनोद (इण्टरमीडिएट) का प्रमाण पत्र दिया जाता है।
परीक्षाओ का माध्यम
गुरुकुल में ली जाने वाली सभी परीक्षाओं का माध्यम देव नागरी लिपि हिन्दी (अंग्रेजी तथा कम्प्यूटर विषय को छोड़कर) होगा।
परीक्षा परिणाम
प्रथम श्रेणी से अष्टम श्रेणी तक का वार्षिक परीक्षा परिणाम 15 मई तक घोषित कर दिया जायेगा तथा सत्रान्त अवकाश होने पर प्रत्येक छात्र को घर भेज दिया जाएगा।
उत्तीर्णांक
सामन्यता प्रत्येक विषय में उत्तीर्ण होने के लिए 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने आवश्यक हैं।
वृताध्यास: आश्रम अनुशासन के 30 अंकों में से 25 अंक प्राप्त करना आवश्यक है।
विशेष विज्ञप्ति
- कोई भी परीक्षार्थी गुरुकुल की किसी भी परीक्षा में व्यक्तिगत रूप से सम्मिलित नहीं हो सकेगा। गुरुकुल के छात्रावास में रहना तथा नियमित रूप से कक्षाओ (Class) में उपस्थित होकर अध्ययन करना आवश्यक है।
- यदि कोई छात्रा विद्यालय छात्रावास से बिना अनुमति के जाती है तो उसका उत्तरदायित्व संस्था पर नहीं होगा।
- विद्यालय से सम्बन्धित सभी प्रकार का पत्र - व्यवहार कार्यालय प्रधानाचार्या कन्या गुरुकुल देहरादून के नाम से ही करें।
- विद्यालय गुरुकुल देहरादून से सम्बन्धित किसी भी वाद का न्याय क्षेत्र केवल जनपद देहरादनू होगा।
- अभिभावक (Guardian) द्वारा धन सम्बन्धित कार्यालय में जमा करवाने पर संस्था का उत्तरदायित्व होगा। व्यक्ति विशेष को धन देने पर संस्था का किसी भी प्रकार का उत्तरदायित्व नहीं होगा।
- छात्राओं को कोई जेब खर्च (पॉकेट मनी) कीमती वस्तु, मोबाईल, अंगूठी, चैन आदि न दें तलाशी के दौरान पकड़े जाने पर वस्तु जब्त कर ली जायेगी
- दो महीने तक भोजन व्यय प्राप्त न होने पर छात्रा (Student) का नाम पृथक कर घर भेज दिया जायेगा।
- एक बारी नाम पृथक होने पर पुनः प्रवेश हेतु अभिभावक को नव प्रवेश-प्रक्रिया अपनानी होगी और व्यय देना होगा।
- संस्था द्वारा धन प्राप्ति हेतु की गयी क़ानूनी कार्यवाही का व्यव-भार (खर्च) छात्रा के संरक्षक/अभिभावक वहन करेंगे।
सभी प्रकार के परिवर्तन का अधिकार मुख्याधिष्ठाता गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार एवं प्रधानाचार्य कन्या गुरुकुल देहरादून के पास सुरक्षित है।
शिक्षा सत्र
- शिक्षा सत्र 1 अप्रैल से।
- शिक्षा सत्र कक्षा 11 के लिए 10 जुलाई से।
सत्रान्त अवकाश
सत्रान्त अवकाश 2 मई से 30 जून तक रहेगा।
छात्रा का अवकाश पर आना जाना
सामान्यतः किसी भी छात्रा को शिक्षा-सत्र के मध्य में घर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। परन्तु विशेष परिस्थितियों में छात्रा को घर जाने के लिए अवकाश दिया जा सकता है।
छात्र को अवकाश पर जाने के लिए अनुमति देने का अधिकार इस प्रकार होगा।
- आश्रमाध्यक्षा की संस्तुति पर 5 दिन तक का अवकाश प्रधानाचार्या द्वारा प्रदान किया जायेगा।
- 5 दिन से अधिक दिनों का अवकाश प्रधानाचार्या की संस्तुति पर द्वारा ही दिया जा सकता है। किसी अन्य के द्वारा नहीं।
छात्राओं क दैनिक कार्यक्रम
जागरण, प्रातः कालीन मंत्र, नित्य कर्मादि | प्रातः 4:30 बजे से 5:30 बजे तक |
व्यायाम / योगासन | प्रातः 5:30 बजे से 6:00 बजे |
स्नान | प्रातः 6:00 बजे से 6:30 बजे तक |
संध्या हवन (प्रातः) | प्रातः 6:30 बजे से 7:00 बजे तक |
स्वाध्याय (Self Study) | 7:00 बजे बजे से 8:30 बजे बजे तक |
प्रातःराश (नाश्ता)/ स्वकार्य | 8:30 बजे से 9:30 बजे तक |
विद्यालय | 9:30 बजे से 1:00 बजे तक |
भोजन (दोपहर) | 1:00 बजे से 2:00 बजे तक |
विद्यालय | 2:00 बजे से 4:30 बजे तक |
विश्राम/स्वकार्य | अपराह्न 4:30 बजे से 5 बजे तक |
क्रीड़ा | सायं 5 बजे से 5:30 बजे तक |
शाम का नाश्ता | 5.30 बजे से 6.00 बजे तक |
संध्या हवन (साय) | 6.00 बजे से 6.30 बजे तक |
संध्या हवन (साय) | 6.00 बजे से 6.30 बजे तक |
स्वाध्याय (Self Study) | 6.30 बजे से 7.30 बजे तक |
भोजन (रात्रि) | 7.30 बजे से 8.30 बजे तक |
स्वाध्याय (Self Study) | 8.30 बजे से 10.00 बजे तक |
शयन | 10.00 बजे से 4.30 बजे तक |
नोट - मौसम के अनुसार तथा विद्यालय एवं महाविद्यालय विभाग की छात्राओं के शिक्षा सम्बन्धी नियमानुसार उपरोक्त कार्यक्रम में परिवर्तन किया जाता है।